आखिर क्यों 1 मई – अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस,आइए जानते है अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के उद्देश्य,इतिहास,महत्व, भारत में संवैधानिक प्रावधान मजदूरों के लिए ।
धरती पर होमो सेपियंस की उत्पत्ति का इतिहास 3 लाख साल पुराना है। विभिन्न रूपों से इंसान तक के सफर में यह पीढ़ी आज 1 एक मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मना रही है। यह भारत और दुनिया के अनेक हिस्सों में सन् 1886 से हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का दिन इतिहास के पन्ने में 1 May 1886 को दर्ज हुआ, उससे हजारों वर्ष पहले से इंसान मजदूरी और गुलामी करता आ रहा है जो यह बताता है कि अभी लगभग 140 वर्ष पहले ही हमें यह गौरव प्राप्त हुआ है ,कहा जाता है कि अमेरिका में मजदूरों से 12-12 घंटे 15-15 घंटे या उससे भी अधिक काम लिया जाता था वह भी बिना छुट्टी के।
शोषण,अराजकता,दुख और गरीबी का यह गुस्सा धीरे-धीरे आंदोलन के रूप में अंदर ही अंदर पनप रहा था, अंततः इस गुस्से को अमेरिका के श्रम संगठन ने आंदोलन का रूप दिया, और काम के घंटे को घटा कर 8 घंटे की मांग की।
दिन था वह 1 may ,स्थान शिकागो का हे मार्केट,हजारों की संख्या में श्रमिक वहां जमा हुए थे,हजारों की इस भीड़ में किसी अनजान शख्स ने वहां बम विस्फोट कर दिया, विस्फोट के बाद मचे इस अफरा-तफरी में मौजूद पुलिसकर्मियों ने मजदूरों पर फायरिंग कर दी,जिसमें 7 श्रमिक मारे गए और तो और बम विस्फोट करने वालों की कोई जानकारी आज तक मौजूद नहीं है,लेकिन यह कुर्बानी आंदोलन के 3 वर्ष बाद सन् 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक में काम के 8 घंटे के रूप में ऐतिहासिक फैसले के रूप में तब्दील हुआ।
मुख्य बिंदु: 1. उद्देश्य 2. इतिहास: अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2.1 संयुक्त राज्य अमेरिका 2.2 फ्रांस 2.3 सोवियत संघ 2.4 न्यूजीलैंड 3. भारत में मजदूर दिवस 4. भारतीय संविधान में श्रम से संबंधित प्रावधान 5. श्रम संहिता 6. वर्तमान स्थिति 7. भविष्य |
1.उद्देश्य:
1.1 मजदूरों के त्याग,बलिदान और योगदान को याद करना |
1.2 मजदूरों की उपलब्धियों का सम्मान करना |
1.3 मजदूरों के शोषण में रोकथाम लगाना |
1.4। मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करना |
1.5 मजदूरों को प्रोत्साहित करना |
2.इतिहास: अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस
2.1 संयुक्त राज्य अमेरिका : अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस
19वीं सदी का यह मजदूर आंदोलन निम्नलिखित ऐतिहासिक महत्व रखता है
1.श्रमिक दिवस को मान्यता प्राप्त हुई |
2.शिकागो में हुई हे मार्केट की घटना का दिन 1 मई था,इसलिए अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई को मनाने का निर्णय लिया गया |
3.शोषण का विरोध,अत्यधिक काम के घंटे कम करने तथा मजदूरी भुगतान को बढ़ाने की मांग कर रहे आंदोलनकारी को गिरफ्तार किया गया साथ ही उन्हें आजीवन कारावास अथवा मौत की सजा सुनाई गई। |
2.2 फ्रांस:
फ्रांस की राजधानी पेरिस में सन 1889 को अंतर्राष्ट्रीय महासभा के दूसरे बैठक में फ्रेंच क्रांति को याद करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया कि इसको अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए। इस बैठक का नतीजा यह रहा कि दुनिया के 80 देशों में मई दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
2.3 सोवियत संघ :
सोवियत संघ:1917 में रूसी क्रांति के पश्चात सोवियत संघ और पूर्वी ब्लॉक राष्ट्रों ने मजदूर दिवस मनाना शुरू किया। साथ ही नई जन्म ले रही मार्क्सवादी तथा समाजवादी विचारधाराओं ने कई कम्युनिस्ट और समाजवादी समूहों को प्रेरित कर श्रमिकों से संबंधित मुद्दों की तरफ ध्यान खींचा और उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन का महत्वपूर्ण अंग बनाया।
2.4 न्यूजीलैंड :
न्यूजीलैंड:नन्यूजीलैंड में सर्वप्रथम यह प्रकाश में आया कि यहां एक बढ़ई सैमुअल पार्नेल(samuel parnell) ने 1 दिन में 8 घंटे से अधिक काम करने का विरोध किया था जो धीरे-धीरे” एक दिन 8 घंटे काम वाले”आंदोलन के रूप में परिवर्तित हो गया। परिणाम स्वरुप न्यूजीलैंड सरकार ने सन् 1899 में इस दिन को सार्वजनिक अवकाश तथा सन् 1900 में संवैधानिक रूप से लेबर डे का सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता दी।
3.भारत में मजदूर दिवस
*मई दिवस का इतिहास और महत्व*भारत में मई दिवस का आयोजन पहली बार 1 मई, 1923 को चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में किया गया था। इस पहल का नेतृत्व हिंदुस्तान की ‘लेबर किसान पार्टी’ के प्रमुख मलयपुरम सिंगारावेलु चेट्टियार ने किया था। उन्होंने दो बैठकों का आयोजन किया और एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें ब्रिटिश सरकार से मई दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने का आग्रह किया गया था।
मई दिवस को भारत में कामगार दिन, कामगार दिवस और अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन श्रमिकों के अधिकारों और उनकी एकता का प्रतीक है। मई दिवस के अवसर पर देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें श्रमिकों के अधिकारों और उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है।
4. भारतीय संविधान में श्रम से संबंधित प्रावधान:
1.विधि के समक्ष समता (अनुच्छेद 14): सभी नागरिकों और विदेशियों के लिए समान व्यवहार। 2.संघ या सहकारी समिति बनाने का अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(ग)): नागरिकों को संगठन बनाने का अधिकार। 3.प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21): जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा। 4.मानव दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिषेध (अनुच्छेद 23): जबरन श्रम पर रोक। 5.बाल श्रम का प्रतिषेध (अनुच्छेद 24): 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखानों में काम करने पर रोक। 6.समान कार्य के लिए समान वेतन (अनुच्छेद 39(क)): समान काम के लिए समान वेतन। 7.काम पाने और लोक सहायता का अधिकार (अनुच्छेद 41): काम, शिक्षा और बेकारी, बुढ़ापा, बीमारी में सहायता। 8.काम की न्यायसंगत दशाएँ और प्रसूति सहायता (अनुच्छेद 42): काम की अच्छी दशाएँ और मातृत्व सहायता। 9.काम की दशाएँ और सामाजिक अवसर (अनुच्छेद 43): काम की अच्छी दशाएँ, निर्वाह मज़दूरी, और सामाजिक अवसर। 10.उद्योगों में श्रमिकों की भागीदारी (अनुच्छेद 43 क): उद्योगों में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करना। |
5. श्रम संहिता:
भारत सरकार ने श्रमिकों के कल्याण और अधिकारों की रक्षा के लिए तीन महत्वपूर्ण श्रम संहिता विधेयक पारित किए हैं:
1. *सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020*: इस संहिता का उद्देश्य श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है, जिसमें स्वास्थ्य बीमा, पेंशन, और अन्य लाभ शामिल हैं। इसका उद्देश्य श्रमिकों को आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक संरक्षण प्रदान करना है। |
2. *व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020*: इस संहिता का उद्देश्य श्रमिकों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करना है। इसमें कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों, स्वास्थ्य जांच, और कार्य स्थितियों के सुधार के प्रावधान शामिल हैं। |
3. *औद्योगिक संबंध संहिता, 2020*: इस संहिता का उद्देश्य श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच संबंधों को सुधारना और विवादों के निपटारे के लिए एक प्रभावी तंत्र प्रदान करना है। इसमें ट्रेड यूनियनों के गठन, सामूहिक सौदेबाजी, और विवाद समाधान के प्रावधान शामिल हैं। |
6. वर्तमान स्थिति:
अक्सर आपने सुना होगा कि प्रत्येक राज्यों में कही मजदूरों की मजदूरी अलग अलग है ,कही कम तो कही अधिक है ,इस वजह से हमने मजदूरों को एक शहर से दूसरे शहर, गांवों से शहर की और ,एक राज्य से दूसरे राज्य यहां तक कि एक देश से दूसरे देश तक लोग मजदूरी करने के लिए और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए जाते हैं,यह स्थिति वास्तव में चिंता का विषय है,चूंकि यह “संपूर्ण विश्व एक परिवार है”कथन में असमानता लक्षित होती है,आज भी कई उद्योगों में मजदूर 12 – 12 घंटे काम करने को मजबूर है ,असल में यह सरकार की गैरजवाबदेही तथा असफलता को प्रदर्शित करती है,इसके लिए आवश्यक है कि सरकार को,श्रम संगठनो को बातचीत से या आंदोलन से ठीक किया जा सकता है।
7. भविष्य :
तकनीकी के इस युग में आज जहां इंसानों की जगह बड़ी बड़ी मशीनों ने ले लिया है AI,रोबोट इत्यादि ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मजदूरों के पेट में लात मारा है ,और यह दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है ,इसलिए आवश्यक है कि सभी बुद्धजीवी लोगों को इस विषय पर गहन चर्चा की आवश्यकता है कि मजदूरों को किस रूप में और किस जगह स्थानांतरण किया जा सकता है,जिससे कि बेरोजगार न रहे।