दोस्तों यह सवाल हर उस विद्यार्थी के मन में आता है मुझे दसवीं की कक्षा के बाद कौन सा विषय लेकर आगे की पढ़ाई करनी है, ऐसा वह विद्यार्थी सोचता है,जिसने दसवीं कक्षा पास कर लिया है या फिर उसे लगता है कि मैं दसवीं के बाद अब अगली कक्षा में जाऊंगा
दोस्तों यह सवाल हर विद्यार्थी के मन में आता है कि दसवीं के बाद कौन सा सब्जेक्ट लेना चाहिए,ऐसा वह विद्यार्थी सोचता है,जिसने दसवीं कक्षा पास कर लिया है या फिर उसे लगता है कि मैं दसवीं के बाद अब अगली कक्षा में जाऊंगा ,किंतु समस्या यह है कि आप कन्फ्यूज हैं कि मैं आगे किस दिशा में बढूं,यह भी हो सकता है कि दसवीं के बाद आपके माता-पिता या आपके शिक्षक आपको सलाह दे रहे हों या कुछ स्थिति में आप के ऊपर दबाव भी आ सकता हैं, कि तुम यही विषय लेकर पढ़ाई करो ।लेकिन समस्या यह है कि आपके मन में कुछ और है ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं,अगर पापा-मम्मी और टीचर की दृष्टि से देखा जाए तो यह मैं आगे विस्तार से बताऊंगा इससे पहले मैं आपको बता दूं कि अभी जो आर्टिकल आप पढ़ रहे हैं उसमें लगभग सभी लोग हिंदी माध्यम से पढाई कीये हुए छात्र होंगे,यह भी आज के समय में एक अलग ही चुनौती बन गई है अक्सर आपने सुना होगा कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी अंग्रेजी में होती है या नौकरी लगने के लिए इंटरव्यू अंग्रेजी में होता है या अंग्रेजी जानना बहुत जरूरी है अन्यथा बहुत समस्या आएगी आगे चलकर,यह सभी बातें अक्सर लोग कहते रहते हैं इस पर भी हम चर्चा करेंगे कि ऐसी चीज हमें क्यों देखने सुनने को मिलती है तो इसलिए अब हम सिलसिलेवार उन सभी चीजों पर चर्चा करते हैं जिससे कि आप निष्कर्ष तक पहुंच सके कि हमें दसवीं के बाद कौन सा सब्जेक्ट लेना चाहिए।
दोस्तों दसवीं के बाद सब्जेक्ट का चुनाव हमारे भविष्य की दिशा तय करता है जिसमें विषयों के चुनाव में मनोवैज्ञानिक स्थिति भी महत्वपूर्ण रोल अदा करता है कि हम,हमारे माता-पिता हमारे टीचर आखिर सब्जेक्ट के चुनाव में किस तरह से सोचते हैं।
इस लेख में आप पढ़ेंगे
1 मनोवैज्ञानिक सोच |
2 क्या करें |
3 क्या ना करें |
4 दसवीं के बाद कौन सा सब्जेक्ट चुनें |
5 दसवीं के बाद आप ये कोर्स कर सकते हैं |
6 निष्कर्ष |
1 मानोवैज्ञानिक सोच
1.1 विद्यार्थी की सोच –
जब विद्यार्थी दसवीं के बाद 11वीं कक्षा में प्रवेश करता है तो वह दसवीं के बाद कौन सा सब्जेक्ट लेना चाहिए, इस पर विचार करता है और विषयों का चुनाव करने में अक्सर गलती कर बैठते हैं। आमतौर पर यह देखा गया है कि अगर विद्यार्थी 70% या उससे अधिक नंबर लाता है अगर वह लड़का है तो मैथ्स,लड़की है तो बायोलॉजी,कम प्रतिशत है तो कॉमर्स या आर्ट्स चुनते है, एग्रीकल्चर भी कोई सब्जेक्ट है यह तो भूल ही जाते है ,लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए,यह हम आगे समझेंगे कि ऐसा क्यों होता है ।
1.2 माता पिता की सोच –
अक्सर आप सभी ने ये सुना होगा कि बेटा/बेटी का दसवीं निकल गया है अब दसवीं के बाद उसको गणित दिलवाता हूं और इंजीनियरिंग कराऊंगा या फिर मम्मी कहती है लड़की का रिजल्ट तो अच्छा आया है लेकिन पास में कोई गर्ल्स स्कूल नहीं है,नहीं तो दसवीं के बाद गणित या बायोलॉजी से पढ़ाकर डॉक्टर इंजिनियर बनाई रहती ,आपने ये भी सुना होगा कि ज्यादा नंबर नहीं आया है,बस ले दे के पास हो गया है बच्चा हमारे लिए तो इतना ही बहुत है,अब आर्ट्स लेगा और देखेगा अपना आगे का क्या है,या फिर वो सोचते है कि फलाने का लड़का ये कर रहा,और वो बता रहा था कि ऐसा ऐसा है ,तो तू भी वही कर ले।
मतलब दोस्तों माता पिता को आप सभी ने सामान्य जीवन में ऐसा बोलते या आस पड़ोस में बात करते सुना होगा,इसका तात्पर्य यह है कि उन्होंने कभी ये नहीं सोचा कि बच्चा दसवीं के बाद क्या करने का सोच रहा,या उसकी पसंद क्या है,या फिर उन्होंने कभी ये समझने की कोशिश नहीं की , कि बच्चे का भी कुछ सपना होगा ,इस आधार पर वो आपको कहते है कि अब गणित या बायोलॉजी लेले और अच्छे से पढ़।
1.3 शिक्षक की सोच –
एक टीचर जो होता है वह अपने छात्रों के बारे में पूरी रिपोर्ट कार्ड रखता है कि वह किस सब्जेक्ट में अच्छा है,वह पढ़ाई में कैसा है, सामान्यतः वह सलाह सभी को तो नहीं देता लेकिन जो कुछ अच्छे छात्र होते हैं जिनके माता-पिता उनसे परिचित होते हैं उनसे बच्चों के बारे में वह कहते हैं कि इसको यह पढ़ा दो फलाने सब्जेक्ट में बच्चा बहुत होशियार है लड़का,तो कहीं ना कहीं माता-पिता भी यकीन कर लेते हैं कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि कोई बच्चा बहुत होशियार होता है साथ ही उसकी कोई अतिरिक्त क्रिया कलाप भी नहीं होती है तो बच्चे के बारे में उनकी राय सही भी हो सकती है।
2 क्या करें क्या करें –
2.1 खुद का विश्लेषण करे
प्रत्येक छात्र को दसवीं के बाद सब्जेक्ट के चुनाव के लिए खुद का विश्लेषण करना चाहिए,इसके कुछ खास तरीके होते हैं जैसे –
1 आप देखें कि आप किस सब्जेक्ट को लगातार घंटों,बिना बोर हुए पढ़ सकते हैं। |
2 यह देखें कि किस सब्जेक्ट में अपने जल्दी महारत हासिल कर लिया है,जो किसी अन्य विद्यार्थी के लिए अत्यंत मुश्किल है। |
3अपने दिमाग का पैटर्न समझे कि आप तकनीकी रूप से जल्दी सीखते हैं और समझते हैं या थ्योरी के रूप में |
4 आपने बचपन से अभी तक किस सब्जेक्ट को सबसे अधिक पढ़ा है। |
2.2 अपनी रुचि समझे –
अक्सर आपने देखा होगा कि कोई विद्यार्थी पढ़ने में भले ही अच्छा ना हो किंतु उसका कोई ना कोई एक विषय बहुत अच्छा रहता है और वह उसमें कम पढ़कर भी अधिक नंबर लेकर आता है यही होता है रुझान,की आपको कौन सा विषय प्राकृतिक रूप से पसंद है इसको आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि उस विषय से संबंधित कोई चर्चा,सवाल-जवाब,टीवी प्रदर्शन या क्विज होता है तो आपका ध्यान उस ओर आकर्षित हो जाता है और आप उसे नजर अंदाज भी नहीं करना चाहते हैं।
2.3 अपने सपने से जोड़कर देखें –
आपने अक्सर सुना होगा कि कुछ विद्यार्थी हमेशा कहते हैं कि मुझे पायलट बनना है,साइंटिस्ट बनना है,डॉक्टर या इंजीनियर बनना है इस तरह से उनका लक्ष्य क्लियर होता है लेकिन कुछ विद्यार्थी जो दसवीं तक पहुंच जाते हैं और जब दसवीं के बाद उनको विषय का चुनाव करना होता है तब तक भी उन्हें नहीं पता होता है कि मेरा सपना क्या है ऐसे में उनके लिए यह जरूरी है कि वो कुछ दिन या समय लेकर विचार करें कि भविष्य में उन्हें किस दिशा में आगे बढ़ना है उस आधार पर अपने विषय का चुनाव करें जो कि उससे संबंधित है।
2.4 संसाधन संसाधन और स्कूल देखें –
कई बार ऐसा होता है कि हम ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जो की काफी अलग-थलग और रिमोट एरिया होता है साथ ही वहां पर अच्छे स्कूल आगे की पढ़ाई के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं, कभी-कभी वहां अच्छे टीचर नहीं होते हैं जिस विषय को हमें पढ़ना है इसलिए यह बहुत जरूरी है कि पहले हम संसाधन और स्कूल की भी उपलब्धता सुनिश्चित कर ले।
2.5 काउंसलर से सलाह लें
जब दसवीं के बाद विषय के चुनाव में समस्या आ रही हो,स्कूल में एडमिशन की समस्या हो या भविष्य की दिशा तय करने में समस्या हो, या,यह भी हो सकता है कि आपका नंबर अच्छे ना आए हों लेकिन आपकी किसी और विषय में रुचि है तो ऐसी स्थिति में गूगल सर्च करके हम अपने नजदीक में काउंसलर ढूंढ कर उनकी मदद ले सकते हैं।
2.6 अंत में फैसला करें –
इन सारी प्रक्रियाओं को करने के बाद यह बहुत जरूरी है कि आप खुद से फैसला करें कि दसवीं के बाद आपको कौन सा सब्जेक्ट लेकर पढ़ाई करनी है,थोड़ा खुद को समय दें लेकिन फैसला खुद का होना चाहिए क्योंकि अब जैसे-जैसे आप बड़े हो रहे हैं अक्सर यह स्थिति आती रहेंगे कि आपको स्वयं ही फैसला लेना होगा,इसलिए हमेशा तत्पर और तैयार रहे।
3 क्या ना करें –
1. दोस्तों ,महिला साथी किसी की भी देखा देखी न करें। |
2. दबाव में फैसला न लें। |
3. नकारात्मकता से दूर रहें । |
4. घर से बाहर निकलने के चक्कर में फैसला न लें । |
4 दसवीं के बाद कौन सा सब्जेक्ट चुनें
विषय | करियर विकल्प |
आर्ट्स |
सिविल सर्विसेज (IAS/IPS/स्टेट PCS)/ सोशल वर्क/टीचर/प्रोफेसर/लॉ/साइकोलॉजी/इतिहासकार/रिसर्च/पोपुलेशन साइंस इत्यादि।
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कॉमर्स | CA/CS /बैंकर/डिजिटल मार्केटर/इवेंट मैनेजर/लेखाकार/कर सलाहकार/अर्थशास्त्री/एच आर मैनेजर इत्यादि। |
एग्रीकल्चर | कृषि अधिकारी/ FCI( भारतीय खाद्य निगम) NFL(नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड) NABARDA (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) इत्यादि में नौकरी/UP SC – IFS ,IBPS/कृषि सलाहकार/कृषि अनुसंधान/। खाद्य प्रौद्योगिकी/पशुपालन/शोधकर्ता इत्यादि |
साइंस |
गणित – इंजीनियरिंग (सिविल /मैकेनिकल/ एयरोस्पेस/ परमाणु/ पर्यावरण/इलेक्ट्रिकल /डाटा साइंस /सॉफ्टवेयर/टेक्सटाइल।
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5 दसवीं के बाद कोर्स
कोर्स | ब्रांच |
I T I | मैकेनिकल /इलेक्ट्रिकल /वेल्डर/ कंप्यूटर ऑपरेटर /ड्राफ्टमैन(सिविल मैकेनिकल इलेक्ट्रिकल) /प्लंबर /फ़ीटर/ रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग इत्यादि।। |
पॉलीटेक्निक | माइनिंग /CS/ IT /इलेक्ट्रिकल/ मैकेनिकल /ऑटोमोबाइल/ सीमेंट इत्यादि। |
पैरामेडिकल कोर्स | फिजियोथैरेपी /नर्सिंग /लैब टेक्नोलॉजी, ऑप्टोमेट्री /डायलिसिस टेक्नोलॉजी/, रेडियोलॉजी, एनेस्थीसियो लॉजी |
डिप्लोमा | मैकेनिकल सिविल इलेक्ट्रिकल) इंजीनियरिंग, /ऑटोमोबाइल/ फैशन टेक्नोलॉजी,/ मेकअप आर्टिस्ट,/ आर्किटेक्चर/ फाइन आर्ट्स /स्टेनोग्राफी।शॉर्ट टर्म कोर्स – ग्राफिक डिजाइनिंग /वेब डेवलपर/ डाटा साइंस/ AI/डिजिटल मार्केटिंग/ साइबर सिक्योरिटी/ कॉस्मेटोलॉजी /प्लंबिंग/ होम हॉस्पिटैलिटी इत्यादि। |
शॉर्ट टर्म कोर्स |
ग्राफिक डिजाइनिंग /वेब डेवलपर/ डाटा साइंस/ AI/डिजिटल मार्केटिंग/ साइबर सिक्योरिटी/ कॉस्मेटोलॉजी /प्लंबिंग/ होम हॉस्पिटैलिटी इत्यादि।
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6 निष्कर्ष
हम आशा करते हैं कि इस लेख को पढ़ने के बाद आपकी आंखें खुल गई होगी और यह भी समझ में आया होगा कि दुनिया में बहुत सारी चीज हैं करने के लिए ,बस इरादा चाहिए और हमें सोच समझकर खुद की रुचि जानकर खुद का विश्लेषण कर फैसला लेना है ना कि बिना सोचे समझे और बिना तथ्यों को समझे हुए, और अपने भविष्य की दिशा तय करनी।
अगर यह लेख आपके भविष्य की दिशा तय करने में मददगार रहा हो तो कृपया कमेंट सेक्शन में अपने सुझाव हमें प्रदान करें