वरुणा और असी दो नदियों के मिलन से बना शहर वाराणसी(उत्तरप्रदेश) जो कि भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर बसा हुआ है इस शहर के विश्वनाथ गली में स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण काशी नरेश महाराजा बलवंत सिंह ने करवाया था। काशी नरेश महाराजा बलवंत सिंह ने “काशी मुक्ति अभियान” चलाकर काशी को अवध के नवाब के नियंत्रण से मुक्त करवा दिया था।
*इस लेख में आप जानेंगे*
1.इतिहास |
2. काशी विश्वनाथ मंदिर की मान्यता |
3.दर्शन का सही तरीका |
4.मंदिर कैसे पहुंचे |
5.आरती का समय |
6.FAQ |
*इतिहास*

भगवान शिव को समर्पित विश्वनाथ मंदिर को विश्वेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है,यह मंदिर लगभग 2000 वर्षों पुराना है, जिसका जीर्णोद्वार 11 वीं शताब्दी में राजा हरीशचंद्र ने करवाया था ।
वर्ष 1194 ईस्वी में मुहम्मद गौरी ने तथा 1447 ईस्वी में पुन: इसे जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने तुड़वा दिया। लेकिन सन् 1585 ईस्वी में राजा टोडरमल की सहायता से पंडित नारायण भट्ट द्वारा इसी स्थान पर भव्य मंदिर बनवाया गया ।इसके बाद पुनः सन् 1632 ईस्वी में शाहजहां ने प्रस्ताव पारित कर तोड़ने का आदेश दिया, लेकिन सेना हिन्दुओं के व्यापक विरोध के कारण मंदिर के केंद्रीय मंदिर को तोड़ने में सफल नहीं हुई किंतु काशी के 63 अन्य मंदिरों को तोड़वा दिया। साथ ही सन् 1669 ईस्वी में औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर इसे फिर से तोड़ने का आदेश दिया,यह फरमान आज भी कोलकाता के The Asiatic Society(Asiatic library) में आज भी सुरक्षित है ।और इस मंदिर को तोड़कर यहां ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई ।सन् 1740 ईस्वी में महाराजा बलवंत सिंह ने काशी को मुगलों एवं अवध के नवाब के नियंत्रण से मुक्त कराकर एक विशुद्ध हिन्दू राज्य की स्थापना किया जिसे ” नारायण राजवंश” के नाम से जाना जाता है। और आज तक बनारस शहर में नारायण वंश का शासन है,वर्तमान में काशी के दशवे नरेश के रूप में अनंत नारायण सिंह सनातन परंपरा का निर्वहन कर रहे है ।
भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा के किनारे बसा यह शहर भी सदियों पुराना है,साथ ही बनारस का इतिहास गंगा नदी और विश्वनाथ मंदिर के साथ आज तक निरन्तर रूप से जुड़ा हुआ है,आज भी भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक यह मंदिर करोड़ों सनातन धर्म को जानने और मानने वालों के लिए आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। शिव भक्तों का तो यहां ताता लगा रहता है,हर रोज हजारों भक्तों की लाइन लगी रहती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां प्रतिदिन लाखों भक्त दर्शन के लिए आते है।

वर्तमान मंदिर का निर्माण वर्ष 1780 ईस्वी में महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा कराया गया था ,निर्माण के ही दौरान तत्कालीन काशी नरेश चैत सिंह ने कार्य कर रहे कारीगरों को सुरक्षा प्रदान कर धन का विशेष सहयोग दिया था । तत्पश्चात 1835 ईस्वी में महाराजा रणजीत सिंह द्वारा 1000 किलोग्राम शुद्ध सोने से मंदिर के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया । माता अहिल्याबाई का योगदान सनातन परंपरा को बचाए रखने तथा काशी विश्वनाथ मंदिर को इतनी भारी मात्रा में नुकसान पहुंचने और जल्लाद शासकों के तोड़े जाने के बाद भी माता अहिल्याबाई ने इसका निर्माण करवाया,उनका योगदान भारतीय इतिहास में सदैव अमर रहेगा।
*काशी विश्वनाथ मंदिर की मान्यता*
पुराणों के अनुसार पहले यह नगरी विष्णु जी की पूरी थी ,लेकिन यह स्थान भगवान शिव जी को अत्यंत प्रिय थी तो उन्होंने विष्णु जी से मांग कर अपना नित्य आवास बना लिया।हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार एक बार माता पार्वती अपने पिताजी के घर गई थी ,जहां उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था ,तो उन्होंने शंकर जी से कहा कि आप मुझे अपने घर ले चलिए,तब शंकर भगवान ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए उनको काशी लेकर आए ,और यहां खुद को स्थापित कर लिया।
*दर्शन का सही तरीका*
आप जब भी काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव जी के दर्शन के लिए जाए तो सबसे पहले काल भैरव जी का दर्शन कीजिए क्योंकि इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है, क्योंकि इनके दर्शन के बगैर काशी विश्वनाथ जी का दर्शन अधूरा माना जाता है क्योंकि काल भैरव शिव जी का ही रूप है और वही लोगो की अर्जियां सुनते है यहां पर तो यमराज का भी अधिकार नहीं है किसी का प्राण लेने का और दंड देने का,यह अधिकार केवल काल भैरव और शिव जी का है।और काल भैरव के दर्शन से ही जीवन में शनि के प्रकोप तथा दंडों से मुक्ति मिलती है।तत्पश्चात वही पीछे स्थित दंडपानी भैरव के दर्शन करें क्योंकि ये काल भैरव के स्वरूप है,तब जाकर आप बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन करें।
*मंदिर कैसे पहुंचे*
पता – Dashashwamedh Ghat Rd, Ghats of Varanasi, Godowlia, Varanasi, Uttar Pradesh 221001
काशी विश्वनाथ मंदिर की स्टेशन से दूरी 5.7 किलोमीटर,चौधरी चरण सिंह बस स्टैंड से दूरी 4.2 किलोमीटर और एयरपोर्ट से दूरी 26.2 किलोमीटर(NH 31)है जहां पर आप ऑटो,रिक्शा UBER की मदद से आसानी से पहुंच सकते है।
*आरती का समय*
आरती | समय |
मंगला आरती | 3:00 AM – 4:00 AM (भोर) |
भोग आरती | 11:15 AM – 12:20 PM (सुबह) |
सप्तऋषि आरती | 7:00 PM – 8:15 PM (शाम) |
श्रृंगार भोग आरती | 9:00 PM – 10:00 PM (रात) |
शयन आरती | 10:30 PM (रात्रि) |
नोट: समय पारीस्थितियों के अनुसार बदल सकते हैं
*FAQs*
प्रश्न – काशी विश्वनाथ मंदिर कब जाना चाहिए?
उत्तर – काशी विश्वनाथ मंदिर 12 महीने दर्शन के लिए उपलब्ध है,लेकिन ठंड के मौसम में भीड़ भाड़ में असुविधा रहती है,साथ ही महाशिवरात्रि के समय विशेष पूजा आरती का आयोजन होता है,जो भक्तों के लिए शानदार अनुभव होता है।वैसे भी अध्यात्म मौसम देखकर नहीं होता है,ये आपके अंदर से होना चाहिए।
प्रश्न – वाराणसी जंक्शन से काशी विश्वनाथ मंदिर की दूरी कितनी है?
उत्तर – वाराणसी जंक्शन से मंदिर की दूरी 5.7 किलोमीटर है।
प्रश्न – काशी विश्वनाथ मंदिर गंगा नदी के किस घाट पर स्थित है?
उत्तर – काशी विश्वनाथ मंदिर दशाश्वमेव घाट के पास स्थित है।
प्रश्न – काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन का समय क्या है?
सुबह 4:00AM – 5:00AM
शाम 4:00PM – 5:00 PM
रात्रि 8:00PM – 8:30PM
नोट: समय पारीस्थितियों के अनुसार बदल सकते हैं
प्रश्न – काशी विश्वनाथ मंदिर में टिकट कैसे बुक करें ?
उत्तर – टिकट बुकिंग के लिए आप काउंटर पर कुछ समय पहले जाकर बुक कर सकते है,या फिर इस वेबसाइट के माध्यम से भी ,कृपया लिंक पर क्लिक करें https://www.shrikashivishwanath.org/
अस्वीकरण –
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