नागपुर के दर्शनीय स्थल

Orange city के नाम से मशहूर नागपुर शहर में पर्यटन स्थल के साथ साथ कई दर्शनीय स्थल भी है अगर आप नागपुर घूमने आए हैं तो आपको नागपुर के दर्शनीय स्थल कम से कम एक बार अवश्य घूमना चाहिए।

नागपुर एक ऐतिहासिक शहर है ,जो केवल महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपनी अलग ही पहचान रखता है,आज हम नागपुर एवं उसके आसपास के केवल दर्शनीय स्थल के बारे में आपको बताएंगे।
दोस्तों एक बात बता दूं मै आपको मैने एक लेख जिसमें नागपुर के 5 प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताया है उसके अलावा जो बचे हुए आस पास के दर्शनीय स्थल है उसके बारे में चर्चा करेंगे ।

1. **दीक्षाभूमि**

दीक्षाभूमि एक ऐतिहासिक इमारत है जो भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए एक प्रमुख केंद्र है, जो महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर में स्थित है। दीक्षाभूमि के निर्माण में 20 साल से भी अधिक का वक्त लगा था,और वर्ष 2001 में इसका उद्घाटन किया गया था ।
यह पवित्र स्थल बोधिसत्त्व डॉ. भीमराव आंबेडकर की ऐतिहासिक धम्म दीक्षा के लिए प्रसिद्ध है, इसी स्थान पर 14 अक्टूबर 1956 को अपने 5 लाख से अधिक अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को स्वीकार कर धर्म परिवर्तन किया था। इस अवसर पर, डॉ. आंबेडकर ने अपने अनुयायियों को त्रिशरण, पंचशील और 22 प्रतिज्ञाओं के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा दी, जिससे दलित समुदाय के लिए एक नए युग की शुरुआत हुई। अगले दिन, 15 अक्टूबर को, उन्होंने 2 लाख से अधिक लोगों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी और स्वयं भी पुनः दीक्षित हुए। यहां पर आज भी बोधिवृक्ष मौजूद है जहां लोग बैठकर ध्यान करते हैं।
हर साल, 14 अक्टूबर को इस पवित्र दीक्षाभूमि में हजारों लोग बौद्ध धर्म की दीक्षा लेते हैं और अपनी जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प लेते हैं। देश और विदेश से लाखों की संख्या में आंबेडकरवादी और बौद्ध अनुयायी यहाँ आते हैं और इस पवित्र स्थल का दर्शन करते हैं। 2015 में, 50,000 लोगों ने दीक्षा ली, जबकि 2016 में भी हजारों लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया। यह स्थल न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और समानता का प्रतीक भी है। दीक्षाभूमि की यात्रा करने से लोगों को डॉ. आंबेडकर के संघर्ष और उनकी विचारधारा को समझने का अवसर मिलता है, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
दीक्षाभूमि न केवल बौद्ध धर्म को मानने वाले बल्कि प्रत्येक धर्म को मानने वाले लोग यह घूमने के लिए आते हैं,साथ ही यहां देश के इतिहास डॉ आंबेडकर के संघर्ष की कहानी को जानने का प्रयास करते हैं। 

2. **अदासा गणपति मंदिर**

नागपुर जंक्शन से लगभग 40 किलोमीटर दूर अदासा गणपति मंदिर एक प्राचीन और पवित्र हिंदू मंदिर है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। धार्मिक ग्रंथों और इतिहासकारों के अनुसार, यह मंदिर लगभग 4000 वर्ष पुराना है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है।
*मंदिर की विशेषताएं*

अदासा मंदिर में भगवान गणेश की एक अद्वितीय और सुंदर मूर्ति विराजमान है। यह मूर्ति 12 फीट लंबी और 7 फीट चौड़ी है, और इसका निर्माण एक अखंड पत्थर से हुआ है। इस मूर्ति की विशेषता यह है कि यह एक ही पत्थर से निर्मित है, जो इसकी वास्तुकला और शिल्पकला की अद्वितीयता को दर्शाता है।
अदासा मंदिर को एक चमत्कारी मंदिर माना जाता है, जहां दर्शन करने मात्र से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि भगवान गणेश की मूर्ति अपने आप विकसित हुई है, जो इसकी पवित्रता और महत्ता को दर्शाता है। इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है, और भक्त दूर-दूर से यहां आकर भगवान गणेश की पूजा और आराधना करते हैं।

*विदर्भ के आठ अष्ट-विनायकों में से एक*

अदासा मंदिर को विदर्भ के आठ अष्ट-विनायकों में से एक माना जाता है, जो इसकी धार्मिक महत्ता को दर्शाता है। अष्ट-विनायक भगवान गणेश के आठ पवित्र मंदिर हैं, जो महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में स्थित हैं। अदासा मंदिर इन आठ मंदिरों में से एक है, और इसकी पूजा और आराधना करने से भक्तों को विशेष आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
अदासा गणपति मंदिर एक प्राचीन और पवित्र हिंदू मंदिर है, जो भगवान गणेश को समर्पित है। धार्मिक ग्रंथ वामन पुराण के अनुसार, इस मंदिर का महत्व भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ा हुआ है।


*वामन अवतार और भगवान गणेश की आराधना*
वामन पुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु वामन रूप में राजा बलि के पास पहुंचने से पहले, उन्होंने अदासा गांव के इसी स्थान पर भगवान गणेश की आराधना की थी। भगवान वामन ने भगवान गणेश की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश शमी के वृक्ष से प्रकट हुए और भगवान वामन को दर्शन देकर आशीर्वाद दिया।

*शमी गणेश*
इस घटना के बाद से, भगवान गणेश को यहां शमी गणेश के नाम से भी पुकारा जाने लगा। शमी वृक्ष का महत्व इस मंदिर में बहुत अधिक है, और भगवान गणेश की मूर्ति इसी वृक्ष के नीचे स्थापित है।
*वसंत पंचमी पर उत्सव*
अदासा गणपति मंदिर में वसंत पंचमी पर भगवान गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर, देशभर से हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। इस दौरान, मंदिर को सजाया जाता है, और भगवान गणेश की पूजाऔर आराधना की जाती है।

3.**अनुसैया माता मंदिर, पारडसिंगा**

सती अनसूया माता का यह मंदिर नागपुर जंक्शन से लगभग 70 किलोमीटर दूर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो कि पारदसिंगा गाँव में स्थित है। यह मंदिर सती अनसूया माता को समर्पित है, जो एक महान महिला संत थीं। इस मंदिर का परिसर अत्यंत खूबसूरत तरीके से घास तिनकों की मदद से प्राकृतिक तरीके से सजाया गया है। यहां की ऊदी बहुत प्रसिद्ध है।

*सती अनसूया माता का जीवन और चमत्कार*
सती अनसूया माता का जन्म 5 मई 1926 को हुआ था। उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक चमत्कार किए, जैसे कि जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करना, लोगों की बीमारी ठीक करना, सूखे कुओं में पानी भरना, और अपने भक्तों को सही रास्ता दिखाना। उनके चमत्कार अनगिनत हैं और उन्हें भक्ति परंपरा में एक महान संत के रूप में जाना जाता है।

*मंदिर का महत्व और विशेषता*
सती अनसूया माता मंदिर वह स्थान है जहां सती अनसूया माता ने अपना भौतिक शरीर छोड़ा था। यह मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहां वे सती अनसूया माता की पूजा और आराधना करते हैं। मंदिर में सती अनसूया माता की मूर्ति स्थापित है, और भक्त यहां आकर उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान और पूजा करते हैं।

*भक्तों के लिए आकर्षण*
सती अनसूया माता मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण है, जो उनकी महिमा और चमत्कारों के बारे में सुनने और उनकी पूजा करने के लिए यहां आते हैं। मंदिर में भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है, और वे सती अनसूया माता के जीवन और चमत्कारों के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।

4. **धापेवाड़ा,विट्ठल रुकमणि मंदिर**

नागपुर से लगभग 31 किलोमीटर दूर विठ्ठल रुकमणि जी का यह मंदिर विदर्भ के पंढरपुर के नाम से प्रसिद्द है।
धापेवाड़ा में विट्ठल रुक्मिणी मंदिर एक अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थल है, जो अपने दिव्य वातावरण और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर महाराष्ट्र के सुरम्य परिदृश्य में स्थित है, जो इसे एक आदर्श आध्यात्मिक आश्रय स्थल बनाता है।

*भगवान विट्ठल की मूर्ति और महत्व*
मंदिर में भगवान विट्ठल और रुक्मिणी की आश्चर्यजनक मूर्तियाँ हैं, जो कृष्ण और विष्णु के दिव्य सार का प्रतीक हैं। भगवान विट्ठल की मूर्ति भक्तों के बीच श्रद्धा और भक्ति को प्रेरित करती है, और उनकी पूजा करने से भक्तों को आंतरिक शांति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

*वास्तुशिल्प डिजाइन और आध्यात्मिक प्रतीकवाद*
मंदिर का वास्तुशिल्प डिजाइन पारंपरिक सौंदर्यशास्त्र को आध्यात्मिक प्रतीकवाद के साथ सामंजस्यपूर्ण रूप से जोड़ता है, जो एक आकर्षक वातावरण बनाता है जो ध्यान और चिंतन को प्रोत्साहित करता है। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर विभिन्न देवताओं और देवी-देवताओं की मूर्तियाँ अंकित हैं, जो इसकी आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाती हैं।

*आगंतुकों के अनुभव*
मंदिर के आगंतुक अक्सर इसकी दिव्य उपस्थिति और गहन शिक्षाओं से शांति और आंतरिक शांति प्राप्त करते हैं। मंदिर के आसपास का शांत वातावरण और प्राकृतिक परिदृश्य के लुभावने दृश्य आध्यात्मिक अनुभव को पूरक बनाते हैं।

*सांस्कृतिक महत्व और इतिहास*
मंदिर का इतिहास सीढ़ीदार कुएँ की स्थापना से जुड़ा है, जो इसकी सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है। यह मंदिर न केवल पूजा स्थल के रूप में कार्य करता है, बल्कि एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में भी कार्य करता है जो इस क्षेत्र के सार को दर्शाता है।

5. **बड़ा ताजबाग(हजरत बाबा सैयद ताजुद्दीन औलिया)**

नागपुर के दर्शनीय स्थल में बड़ा ताजबाग बहुत प्रसिद्ध है,यह नागपुर जंक्शन से लगभग 6 किलोमीटर दूर उमरेड रोड पर स्थित है।
सैयद मोहम्मद बाबा ताजुद्दीन, जिन्हें ताजुद्दीन बाबा के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख भारतीय सूफी गुरु थे जिनका जन्म 27 जनवरी, 1861 को हुआ था। उनकी मृत्यु 17 अगस्त, 1925 को हुई थी। ताजुद्दीन बाबा को उनके अनुयायी एक महान आध्यात्मिक गुरु के रूप में मानते हैं, और उन्हें “शेंशा हफ्त अक़लीम” (सात लोकों के सम्राट) की उपाधि से सम्मानित किया जाता है।

*ताजुद्दीन बाबा की जीवनी*
ताजुद्दीन बाबा का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो अपनी आध्यात्मिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता था। उनके अनुयायियों का मानना है कि उन्हें अल्लाह की विशेष कृपा प्राप्त थी, और वे अपने जीवनकाल में अनेक चमत्कारों और आध्यात्मिक अनुभवों से जुड़े हुए थे।

*ताजुद्दीन बाबा की शिक्षाएँ*
ताजुद्दीन बाबा की शिक्षाएँ समस्त मानव जाति के लिए प्रेम, सहिष्णुता, और आत्म-ज्ञान पर केंद्रित थीं। उन्होंने अपने अनुयायियों को आंतरिक शांति और आत्म-ज्ञान की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया, और उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
ताजुद्दीन बाबा के जीवन के बारे में कई अद्भुत और आश्चर्यजनक कथाएँ प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि उनका जन्म एक असामान्य बच्चे के रूप में हुआ था, और उनके बचपन में कई ऐसी घटनाएँ हुईं जो उनकी महानता और आध्यात्मिक शक्ति की ओर संकेत करती हैं। इनकी ख्याति चाहे वह किसी भी धर्म का अनुयायि हो,सभी के बीच में है।

 

*बचपन में रोने की अनुपस्थिति*
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, ताजुद्दीन बाबा बचपन में कभी नहीं रोते थे। उनके माता-पिता ने उन्हें रुलाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वे असफल रहे। यहाँ तक कि उनके माता-पिता ने उन्हें शारीरिक यातनाएँ भी दीं, लेकिन बाबा ने कभी आह नहीं की और न ही रोए।

*शारीरिक यातनाओं के निशान*
ऐसा कहा जाता है कि इन शारीरिक यातनाओं के निशान बाबा के शरीर पर जीवनभर रहे। उनके अनुयायियों का मानना है कि यह उनकी महानता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण है, और यह कि वे एक विशेष उद्देश्य के लिए इस दुनिया में आए थे।

6. **रामटेक किला एवं मंदिर**

नागपुर से रामटेक की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है,जहां एक अलग ही हरियाली पहाड़ झीलें सबकुछ है,जो मन को मोह लेते है।रामटेक में किलों व मंदिरों की कमी नहीं है,जिसमें मुख्य रूप से ये है ।

*रामटेक मंदिर*
रामटेक मंदिर महाराष्ट्र के नागपुर जिले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान राम को समर्पित है। यह मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है, और इसके निर्माण को लेकर कई ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं।

*गढ़ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध*
रामटेक मंदिर को गढ़ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो इसके किले जैसी संरचना के कारण है। मंदिर का निर्माण राजा रघु खोंले ने एक किले के रूप में करवाया था, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।

*मान्यता*
रामटेक मंदिर महाराष्ट्र के नागपुर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान श्रीराम को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लगभग चार महीने तक यहाँ रहे थे। इस स्थल का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यहाँ माता सीता ने अपनी पहली रसोई बनाई थी और स्थानीय ऋषियों को भोजन कराया था। इस कथा का उल्लेख पद्मपुराण में भी मिलता है, जो इस स्थल की पवित्रता और आध्यात्मिक महत्ता को और भी बढ़ाता है। रामटेक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
रामटेक एक ऐसा पवित्र स्थल है जहाँ भगवान राम और ऋषि अगस्त्य की महत्वपूर्ण मुलाकात हुई थी। ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम को शस्त्रों का ज्ञान प्रदान किया और उन्हें ब्रह्मास्त्र से भी परिचित कराया, जिसकी मदद से भगवान राम रावण का वध करने में सफल हुए। इसके अलावा, ऋषि अगस्त्य ने भगवान राम को रावण के अत्याचारों के बारे में भी बताया था। इस स्थल का धा

*मंदिर का परिसर और तालाब*
मंदिर के परिसर में एक तालाब है, जो अपनी अनोखी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस तालाब का पानी कभी ज्यादा या कम नहीं होता है, जो इसे एक आश्चर्यजनक और पवित्र स्थल बनाता है।

*आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व*
रामटेक मंदिर का आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। यह मंदिर भगवान राम के जीवन और कथाओं से जुड़ा हुआ है, और इसके परिसर में कई प्राचीन संरचनाएँ और मूर्तियाँ हैं जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं।
इसके अलावा खिंदसी लेक,कवि कालिदास स्मृति,शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर यह मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि जैन समुदाय के लिए यह विशेष है।

*कवि कालिदास स्मृति*

कवि कालिदास स्मृति रामटेक, महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में स्थित एक सांस्कृतिक स्थल है, जो महान संस्कृत कवि कालिदास की स्मृति में स्थापित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि कालिदास ने यहीं बैठकर अपने प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ मेघदूत की रचना की थी। यह स्थान प्राचीन साहित्य, कला और संस्कृति का प्रतीक है और यहाँ हर वर्ष “कालिदास समारोह” का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर से साहित्यकार, कलाकार और संस्कृति प्रेमी भाग लेते हैं। रामटेक की पहाड़ियों पर स्थित यह स्थल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, जहाँ सुंदर मंदिर और शांत वातावरण पर्यटकों कोआकर्षित करते हैं।

*शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर*

शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, रामटेक में जैन धर्म के पंचम तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ को समर्पित एक प्रतिष्ठित पूजा स्थान है। यह मंदिर नागपुर से लगभग 50 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित है और अपनी सुंदर वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। मंदिर का स्थापत्य शैली में पारंपरिक दिगम्बर जैन तत्व शामिल हैं, जैसे कि मुख्य गर्भगृह में शांतिनाथ की शानदार मूर्ति और छतों पर जटिल भित्ति-शिल्प कलाकृतियाँ। इस स्थान पर नियमित पूजा-अर्चना होती रहती है और विशेष रूप से जैन धर्म के पर्वों पर बड़ी श्रद्धा के साथ आयोजन होता है। पर्यटकों और तीर्थाटनियों के लिए यह न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थल है, जहाँ आसपास का प्राकृतिक दृश्य यात्रा को और भी यादगार बनाता है।

7 .**जामसवली हनुमान मंदिर**

नागपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर जामसवली हनुमान जी का मंदिर स्थित है चूंकि मध्यप्रदेश महाराष्ट्र राज्य से अपनी सीमा साझा करता है ,इसलिए जामसवली मंदिर मध्यप्रदेश के पांढुर्णा जिले में स्थित है। किन्तु अगर आप नागपुर के दर्शनीय स्थल खोज रहे है तो ,जामसवली में हनुमानजी के दर्शन अवश्य करिए ,यकीनन आपको बहुत अच्छा महसूस होगा ।
जमसावली मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो अपनी अनोखी विशेषताओं और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। शासकीय दस्तावेजों के अनुसार, यह मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है, और यहाँ मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

*हनुमान जी की मूर्ति से निकलता जल*
इस मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यहाँ हनुमान जी की मूर्ति की नाभि से जल निकलता है, जिसे भक्त प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। यह जल पवित्र माना जाता है और भक्तों का मानना है कि यह उनकी मानसिक और शारीरिक समस्याओं का समाधान करता है।

*मानसिक स्थिति में सुधार*
जामसावली मंदिर की मान्यता है कि यहाँ मानसिक स्थिति से पीड़ित लोगों को पवित्र जल से सुधार मिलता है। भक्तों का मानना है कि हनुमान जी की कृपा से उनकी मानसिक समस्याएँ दूर होती हैं और उन्हें शांति और सुख मिलता है।

8.**ड्रैगन पैलेस**

बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों एवं अन्य सभी के लिए भी ड्रैगन पैलेस एक आकर्षक और खुबसूरत पर्यटन स्थल है।इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1999 में हुई थी, जब सुलेखा कुंभारे और नोरिको ओगावा ने संयुक्त रूप से भूमि खरीदी थी। उस समय, सुलेखा कुंभारे कैम्पटी के मेयर के रूप में कार्यरत थीं, जबकि नोरिको ओगावा एक जापानी कंपनी की अध्यक्ष थीं जिनके उस क्षेत्र में व्यापारिक संबंध थे।

दोनों ने मिलकर इस मंदिर की स्थापना की, जो अब एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में जाना जाता है। इसे नागपुर का लोटस टेंपल भी कहा जाता है।

9 ** पंचमुखी हनुमान मंदिर, बाबूलखेड़ा**

पंचमुखी हनुमान मंदिर, बाबूलखेड़ा नागपुर में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान हनुमान की पंचमुखी प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में हनुमान जी की पांच मुखों वाली प्रतिमा स्थापित है, जो विभिन्न दिशाओं में देख रही है और भगवान की अद्वितीय शक्ति और कृपा का प्रतीक है। यह मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहाँ वे अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर का शांत और पवित्र वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है और उन्हें भगवान की भक्ति में लीन होने का अवसर देता है।

10 **जामा मस्जिद **

शुक्रवार मस्जिद के नाम से जाना जाने वाला यह मस्जिद नागपुर जंक्शन से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर मोमिनपुरा में स्थित है। इंडो इस्लामिक शैली में बने इस मस्जिद में चार मीनारे है,जिसका निर्माण कार्य वर्ष 1960 ईसवी में पूरा हुआ था,साथ ही 2019 में इसका नवीनीकरण भी किया गया। यह मस्जिद वास्तव में बहुत खूबसूरत है,इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह बहुत ही पवित्र मस्जिद है,इस मस्जिद में एक बहुत बड़ा हॉल है,जिसकी क्षमता लगभग 2000 लोगों की है।

11.** बोहरा मस्जिद**

नागपुर में स्थित बोहरा मस्जिद, शांतीनगर (इटवारी क्षेत्र) का एक प्रमुख इस्लामी धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यह डाओडी बोहरा समुदाय के लिए बनाई गयी है और इसकी निर्माणशैली नव-फ़ातिमी (Neo‑Fatimid) अंडरटोन में है, जो गोल गुंबदों, उँचे मिनारों तथा रोमांचक शिल्पकला द्वारा विशिष्ट बनती है।


मस्जिद का मुख्य आकर्षण उसकी शानदार आर्किटेक्चर और अंदर स्थित बड़े सामुदायिक हॉल में नज़र आता है—जहाँ नमाज़, विवाह समारोह और अन्य सांस्कृतिक आयोजन नियमित रूप से होते हैं । सप्ताहिक शुक्रवार की नमाज़ और इस्लामी त्यौहारों के समय यह पूरी ढंग से सज‑धजकर एक आध्यात्मिक माहौल प्रस्तुत करता है । स्थानीय समीक्षाओं में इसे “स्वच्छ और अच्छी तरह से रखी गयी” बताया गया है, और लोग इसकी वास्तुकला की भी जमकर तारीफ करते हैं ।


बोहरा मस्जिद मुस्लिम संस्कृति और बोहरा समुदाय के ऐतिहासिक और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक भी है।यह अध्यात्म का एक प्रमुख केंद्र है।

12.**बाबा फरीद दरगाह (गिरड)**

 

 बाबा फरीद दरगाह,गिरड वर्धा जिले के समुद्रपुर तहसील में स्थित है।बाबा फरीद दरगाह, सूफी संत बाबा फरीद (फरीदुद्दीन, गंज-ए-शक्कर) को समर्पित एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है । कहा जाता है कि बाबा यहां उल्टा खड़े होकर नमाज़ अदा करते थे, जिसे भक्त आज भी स्मरण करते हैं । शिख फरीद बाबा की समाधि पहाड़ी पर एक सुंदर मंदिर की तरह है, जिसके पास एक झील और राम मंदिर भी स्थित है — यह धार्मिक सह-अस्तित्व का प्रतीक बनता है, जहाँ रामनवमी और मुहर्रम के दौरान बड़ी धार्मिक एकता देखी जाती है ।
यह स्थान नागपुर से लगभग 75 कि॰मी॰ उत्तर-पूर्व और वर्धा से 59 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है । यहाँ आने-जाने के लिए नागपुर एयरपोर्ट, सेवाग्राम रेल्वे स्टेशन (51 कि॰मी॰ दूर) और सड़क मार्ग (बस सुविधा उपलब्ध) सुविधाजनक हैं । चारों ओर के हरियाली और पहाड़ी‑झील दृश्य, खासकर मानसून में, इस स्थल को दर्शनीय बनाते हैं ।


दर्शनार्थी यहां भोजनदान (लंगर) करते हैं, शांति एवं मानसिक राहत पाने के लिए आते हैं; कुछ लोग भूमि पट्टे की दीर्घ संबंधी व्यवस्थाओं की अपील भी कर चुके हैं । संक्षेप में, बाबा फरीद दर्गाह, गराड, सूफी आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक सौहार्द और प्राकृतिक सुंदरता का मुस्कराता संगम है।

13.**साईं बाबा मंदिर,नागपुर**

हिंदू मुसलमान सभी के गुरु साईं बाबा जी का मंदिर, वर्धा रोड, नागपुर के दर्शनीय स्थल में से प्रमुख है, जो शिरडी के साईं बाबा को समर्पित है। चूंकि साईं बाबा जी का मंदिर महाराष्ट्र की रोशनी है, जो कि वर्धा रोड पर स्थित है, जो नागपुर शहर का एक महत्वपूर्ण और व्यस्त मार्ग है, और एयरपोर्ट व मिहान जैसे क्षेत्रों के करीब है। यहाँ आने-जाने की सुविधा बेहद आसान है, जिससे श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।
इस मंदिर में साईं बाबा की सुंदर संगमरमर की प्रतिमा स्थापित है, और मंदिर परिसर अत्यंत स्वच्छ, शांत और भक्तिपूर्ण वातावरण से परिपूर्ण रहता है। यहां नियमित रूप से काकड़ आरती, मध्याह्न आरती, धूप आरती, और शेज आरती होती हैं। हर गुरुवार को विशेष पूजन, भजन संध्या और अन्नदान (भंडारा) का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
मंदिर परिसर में बैठने, प्रसाद वितरण और ध्यान के लिए अच्छी व्यवस्था है। यहाँ का वातावरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। यह मंदिर साईं बाबा के “श्रद्धा और सबूरी” के संदेश को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है और नागपुर में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है।

साईं बाबा के 11 संदेश:

साईं बाबा के 11 प्रसिद्ध संदेश (उपदेश) या वचन, जो उन्होंने अपने भक्तों को दिए और जो आज भी उनके अनुयायियों को मार्गदर्शन देते हैं, इस प्रकार हैं:

1 जो शरण में आता है, उसकी रक्षा मैं स्वयं करता हूँ।

2 श्रद्धा और सबूरी (Faith and Patience) रखो।

3 मुझ पर और मेरी बातों पर विश्वास रखो – तुम्हें जीवन में कभी धोखा नहीं मिलेगा।

4 मैं अपने भक्त की हर पुकार सुनता हूँ।

5 जो कोई मेरे नाम का सच्चे मन से स्मरण करता है, मैं उसके साथ हूँ।

6 मैं हर जगह हूँ – तुम्हारे भीतर और बाहर।

7 जो कुछ भी होता है, वह मेरे संज्ञान में होता है – चिंता मत करो।

8 अपने कर्म अच्छे रखो – फल अपने आप मिलेगा।

9 दान दो, पर सोच-समझ कर और निष्काम भाव से।

10 मैं भूखों को भोजन, और दुखियों को सांत्वना देता हूँ।

11 जो भी मेरी शरण में पूरी निष्ठा से आता है, मैं उसके जीवन की नैया पार लगाता हूँ।

ये 11 संदेश साईं बाबा की दयालुता, सर्वधर्म समभाव, और आत्मिक चेतना के प्रतीक हैं। श्रद्धालु इन्हें जीवन मार्गदर्शन के रूप में अपनाते हैं।

14 **मारकंडा महादेव मंदिर**

नागपुर महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के पास वेनगंगा नदी के किनारे स्थित एक प्राचीन और पवित्र शिव मंदिर है, जिसे “दक्षिण का काशी” भी कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका नाम ऋषि मार्कंडेय से जुड़ा हुआ है, जिनकी भगवान शिव ने यमराज से रक्षा की थी।

यदि आप नागपुर के पास प्राकृतिक और ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों की तलाश में हैं, तो मारकंडा महादेव मंदिर आपके लिए एक आदर्श विकल्प है — जो कि मिनी खजुराहो कहलाता है,मंदिर की वास्तुकला प्राचीन काल की याद दिलाती है और यहां हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं। घने जंगलों और शांत वातावरण से घिरा यह स्थल ध्यान, भक्ति और आध्यात्मिक अनुभव के लिए आदर्श माना जाता है।

 

**अक्सर पुछे जाने वाले प्रश्न**

प्रश्न – नागपुर से जामसावली कितने किलोमीटर है

उत्तर – 66.4 किलोमीटर 

प्रश्न – नागपुर से जामसावली कितने किलोमीटर है

उत्तर – 55.9 किलोमीटर 

प्रश्न – Nagpur to Ramtek train

उत्तर – 1.Train Number 68756 (NSC Bose itwari, 5:52AM – Ramtek ,6:55AM (Ramtek Memu)

2.Train Number 68754 (NSC Bose itwari, 7:22PM – Ramtek ,8:25PM (Ramtek Memu)

**अस्वीकरण**

यह लेख पाठकों की जानकारी के लिए है,जो कि गहन अध्ययन एवं शोध पर आधारित है,हम पाठकों को यह बताना चाहेंगे कि यह Human द्वारा लिखित है इसलिए इसमें मानवीय त्रुटी हो सकती है,अगर आपको इसमें कुछ असुविधा हुई हो तो इसके लिए हम आपसे क्षमा चाहते है।

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