POPE FRANCIS,140 करोड़ ईसाइयों के धर्मगुरु नहीं रहे इस दुनिया में,जानिए इतिहास उन्हें कैसे याद रखे

*पोप फ्रांसिस की जानकारी*_____________________| ||

*जन्म दिवस:* || 17 दिसंबर 1936 || (गुरुवार) ||

*जन्म स्थान:* || अर्जेंटीना, ब्यूनस आयर्स|| (अर्जेंटीना की राजधानी)||

 

|| *मूल नाम:*|| जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो || ||

*प्रसिद्धि:*       || पोप फ्रांसिस के रूप में || ||

*मृत्यु:*।        || 21 अप्रैल 2025 (सोमवार ) || ||

*मृत्यु स्थान:* || वेटिकन सिटी, (“कासा सांता मार्टा” वेटिकन , सिटी में पोप का निवास स्थान”) ||

 

 

 

पोप फ्रांसिस मात्र 22 वर्ष की आयु में ही गंभीर रूप से बीमार हो गए थे इस बीमारी से उबरने के बाद उन्हें जेसुइट्स में शामिल होने की प्रेरणा मिली। उन्हें 1969 में कैथोलिक पादरी नियुक्त किया गया। इस तरह से उनके जीवन का सफर शुरू होकर कैथोलिक चर्च के प्रमुख के रूप में तथा वेटिकन सिटी के संप्रभु बनें।अपने पूरे सार्वजनिक जीवन के दौरान, फ्रांसिस अपनी विनम्रता, ईश्वर की दया पर जोर, पोप के रूप में अंतरराष्ट्रीय दृश्यता, गरीबों के लिए चिंता और अंतरधार्मिक संवाद के लिए प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे । 13 मार्च 2013 – 21 अप्रैल 2025 तक पोप फ्रांसिस कैथोलिक चर्च के प्रमुख के रूप में तथा वेटिकन सिटी के संप्रभु थे ।

 

इतिहास में योगदान –

 

इतिहास इस बात का हमेशा साक्षी रहेगा जो पोप फ्रांसिस ने अपने जीवन में इस संसार के लिए कार्य किए –

 

1. शांति और न्याय – पोप फ्रांसिस ,युद्धों के खिलाफ आवाज उठाई ,तथा शांति और न्याय की वकालत की,और उन्होंने समस्या के समाधान के लिए कूटनीति और बातचीत का रास्ता अपनाने को कहा।

2. पर्यावरण संरक्षण – पर्यावरण के लिए पोप फ्रांसिस ने हमारे कर्तव्य निर्धारित किए साथ ही पर्यावरण विनाश के खिलाफ चेतावनी देते हुए ,नवीकरणीय ऊर्जा और सतत विकास का संदेश दिया।

 

3.गरीबों और वंचितों के मददगार – पोप फ्रांसिस ने समाज में समानता और न्याय स्थापित करने की वकालत की. साथ ही गरीबों और हाशिए पर रह रहे लोगों के ताउम्र मददगार रहे।

4.धार्मिक गुरुओं के बीच संवाद – उन्होंने विभिन्न धर्मों के बीच संवाद को बढ़ावा दिया और धार्मिक सहिष्णुता की वकालत की। उन्होंने अन्य धर्मों के नेताओं के साथ मिलकर काम किया और धार्मिक शांति और सद्भाव की वकालत की।

 

5. मानवाधिकारों की रक्षा – उन्होंने प्रवासियों , शरणार्थियों, और यौन शोषणों से पीड़ित बच्चों के लिए आवाज उठाई,और जमकर जिम्मेदार सरकारों को कोषा।

अंतरराष्ट्रीय भूमिका और कूटनीतिक योगदान –

 

1.क्यूबा और अमेरिका – पोप के रूप में फ्रांसिस ने दिसंबर 2014 में समझौते के रूप में पर्दे के पीछे से कनाडा सरकार के साथ मिलकर कथित अमेरिका और क्यूबा के बीच पूर्ण राजनयिक संबंधों को बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभाई। दोनों पक्षों के नेता बराक ओबामा और कास्त्रो के साथ धार्मिक नेता के रूप में यह समझाने में सफल रहे कि प्रत्येक पक्ष इस समझौते पर हुए सौदे को निभाएगा। अंततः इस संपूर्ण प्रक्रिया की सफलता का श्रेय पोप फ्रांसिस को दिया गया।

2. इजराइल और अरब संघर्ष – पोप फ्रांसिस ने इजराइल फिलिस्तीन संघर्ष में कई बार हमले के दौरान आतंकवाद, घृणा,नरसंहार और अनैतिकृत जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया और कहा कि दुनिया का कोई भी देश अगर वह इस तरह से बालों का प्रयोग करता है तो वह अनैतिक कार्यों के लिए खुद को उधार देता है उन्होंने दुनिया के कई हिस्सों जिसमें यूक्रेन,इजराइल,फिलिस्तीन तथा सूडान में युद्ध में मारे गए लोगों और घायल हुए सभी देशों के लिए शांति प्रार्थना की ।वेटिकन ने 25 मई 2014 को फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले संधि पर हस्ताक्षर भी किए थे ।

3. रूस – यूक्रेन संघर्ष – फरवरी 2022 में रूसी आक्रमण के बाद से फ्रांसिस ने कई बार शांति का आहान करते हुए कहा कि वह युद्ध को रोकने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं करेंगे। फरवरी 2022 के एंजेलस संबोधन के दौरान फ्रांसिस ने कहा, “हथियारों को चुप कराओ”सितंबर 2022 में कजाकिस्तान के एक अंतर धार्मिक कार्यक्रम में फ्रांसिस ने पेट्रिआर्क किरिल से आग्रह किया कि पुतिन “वेदी लड़का “ना बने। पोप फ्रांसिस ने हथियारों के हस्तांतरण की भी निंदा की। साथ ही यूक्रेन की आत्मरक्षा को नैतिक रूप से स्वीकार्य माना। इसमें सबसे अहम यह रहा कि यूक्रेन की कई यात्राओं में दो उच्च पदस्थ वेटिकन अधिकारियों को दूत के रूप में भेजना जो की वेटिकन कूटनीति के इतिहास में एक असामान्य कदम माना गया और यह अचंभित कर देने वाली घटना थी। उन्होंने सीधे पुतिन और जेलेंसकी से अपील की की युद्ध को रोका जाए तथा गंभीर शांति प्रस्ताव पर चर्चा की जाए।

 

4.G-7 – 2024 में इटली में आयोजित 50 वा शिखर सम्मेलन जो की दुनिया के सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की बैठक थी इसमें फ्रांसिस भाग लेने वाले पहले पोप थे ,मंच से उन्होंने युद्ध से मानवता खतरे में है तथा AI से नौकरियां खतरे में है तथा प्रजनन प्रथाओं का जिक्र करते हुए गर्भपात का विशेष उल्लेख किया।

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