अयोध्या का राम मंदिर

अयोध्या का राम मंदिर सिर्फ एक मंदिर ही नहीं,यह भारतीय संस्कृति,भारतीय इतिहास की विकासगाथा है,जो भारतवर्ष के गौरवशाली मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को समर्पित है

आज हम अयोध्या के राम मंदिर के संबंध मे निम्नलिखित विषयों पर प्रकाश डालेंगे।

विषय:

इतिहास
कानूनी प्रक्रिया
वास्तुकला/पता/दर्शन समय/पहुंच मार्ग

*इतिहास*

अयोध्या का राम मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल है, जो भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में माना जाता है। साथ ही इसे रामलला का मंदिर भी कहा जाता है ।इस मंदिर का इतिहास सदियों पुराना और विवादित है,जिसे हम इतिहास के तीन भागों में समझेंगे:

प्राचीन इतिहास
मध्यकालीन इतिहास
आधुनिक इतिहास

प्राचीन इतिहास

रामायण काल – भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, जो एक प्राचीन और समृद्ध शहर था।

रामायण के अनुसार, भगवान राम का जन्म कौशल राज्य की राजधानी अयोध्या में हुआ था।

अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि माना जाता है और यह स्थल हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

*प्राचीन अयोध्या*- अयोध्या का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे कि रामायण, महाभारत और पुराणों में मिलता है।

अयोध्या एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र था।

शहर की स्थापना मनु के पुत्र इक्ष्वाकु ने की थी, जो सूर्यवंश के संस्थापक थे।

*अयोध्या का राम मंदिर ,प्राचीन इतिहास*- भगवान राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर का निर्माण हुआ था, जो प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल था।

इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और यात्रा वृत्तांतों में मिलता है।

– मंदिर का निर्माण और जीर्णोद्धार कई बार हुआ था, लेकिन इसका मूल महत्व और पवित्रता बनी रही।

*प्राचीन काल के साक्ष्य*

अयोध्या में कई प्राचीन अवशेष और मूर्तियाँ मिली हैं, जो इस स्थल के प्राचीन महत्व को दर्शाती हैं।

इन अवशेषों में प्राचीन मंदिरों के खंडहर, मूर्तियाँ और अन्य कलाकृतियाँ शामिल हैं।

अयोध्या राम मंदिर का प्राचीन इतिहास बहुत ही समृद्ध और महत्वपूर्ण है, जो इस स्थल के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।

मध्यकालीन इतिहास

मध्यकालीन इतिहास में अयोध्या राम मंदिर का महत्व और विवाद बढ़ता गया। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु हैं:

*बाबर का आक्रमण* – 1528 में, मुगल आक्रमणकारी बाबर ने कथित तौर पर राम मंदिर को तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बनवाई, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है। हिन्दुओं की मान्यता है कि यह स्थल भगवान राम का जन्मस्थान है, और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मंदिर था जिसे बाबर ने तोड़ दिया।

*मुगल और ब्रिटिश काल*- मुगल काल में, बाबरी मस्जिद का उपयोग मुस्लिम समुदाय द्वारा नमाज पढ़ने के लिए किया जाता था। ब्रिटिश काल में, अयोध्या में हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ने लगा, और इस स्थल को लेकर विवाद और भी बढ़ गया।

*1850 के दशक के विवाद*- 1853 में, हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच इस जमीन को लेकर पहली बार विवाद हुआ। 1858 में, बाबा फकीर सिंह खालसा की अगुवाई में 25 निहंग सिखों ने बाबरी ढाँचे पर कब्जा कर लिया और राम नाम का पाठ किया। 1859 में, अंग्रेजों ने विवाद को ध्यान में रखते हुए पूजा व नमाज के लिए मुसलमानों को अन्दर का हिस्सा और हिन्दुओं को बाहर का हिस्सा उपयोग में लाने को कहा।

आधुनिक इतिहास

आधुनिक इतिहास में अयोध्या राम मंदिर का महत्व और विवाद बढ़ता गया। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु हैं:

*राम जन्मभूमि आंदोलन*- 1980 के दशक में, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू किया, जिसका उद्देश्य अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना था। इस आंदोलन ने हिंदू समुदाय के बीच एकजुटता और समर्थन प्राप्त किया, और यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया।

*राम रथ यात्रा*- 1989 में, लालकृष्ण आडवाणी ने राम रथ यात्रा शुरू की, जिसका उद्देश्य राम जन्मभूमि आंदोलन को समर्थन देना था। इस यात्रा ने हिंदू समुदाय के बीच एकजुटता और समर्थन प्राप्त किया, और यह यात्रा पूरे देश में फैल गई।

 

*बाबरी मस्जिद का विध्वंस*- 6 दिसंबर 1992 को, करसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया, जिससे पूरे देश में तनाव और हिंसा फैल गई। यह घटना भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गई, और इसके परिणामस्वरूप हिंदू-मुस्लिम संबंधों में एक नए युग की शुरुआत हुई।

*न्यायिक प्रक्रिया*

बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, इस स्थल को लेकर विवाद और भी बढ़ गया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 में विवादित भूमि को तीन भागों में बांटने का फैसला सुनाया, जिसे दोनों पक्षों ने चुनौती दी। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 9 नवंबर 2019 को अपने ऐतिहासिक फैसले में विवादित भूमि पर राम मंदिर निर्माण की अनुमति दी और मस्जिद के लिए अलग भूमि आवंटित करने का निर्देश दिया।

*राम मंदिर निर्माण*- 5 अगस्त 2020 को, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया और निर्माण कार्य शुरू हुआ। राम मंदिर का निर्माण तेजी से हुआ, और 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का उद्घाटन किया और भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

*आधुनिक युग में महत्व*- अयोध्या राम मंदिर का निर्माण हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, और यह स्थल हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना रहेगा। राम मंदिर का निर्माण भारतीय संस्कृति और इतिहास के लिए भी महत्वपूर्ण है, और यह स्थल देश की सांस्कृतिक विरासत की पहचान है।

*वास्तुकला/पता/दर्शन समय/पहुंच मार्ग*

वास्तुकला

अयोध्या राम मंदिर की वास्तुकला एक अद्वितीय और विशिष्ट शैली है, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाती है। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु हैं:

*नागर शैली*-

अयोध्या राम मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जो उत्तर भारत में प्रचलित एक प्रमुख वास्तुकला शैली है। इस शैली में मंदिरों का निर्माण गर्भगृह, शिखर, और मंडप के साथ किया जाता है।

*गर्भगृह*-

गर्भगृह मंदिर का सबसे पवित्र भाग है, जहाँ भगवान राम की मूर्ति स्थापित की गई है। गर्भगृह का निर्माण एक विशिष्ट तरीके से किया गया है, जो भगवान राम की उपस्थिति को दर्शाता है।

*शिखर*-

शिखर मंदिर का सबसे ऊंचा भाग है, जो भगवान राम की महिमा को दर्शाता है। शिखर का निर्माण एक विशिष्ट तरीके से किया गया है, जो मंदिर की सुंदरता को बढ़ाता है।

*मंडप*-

मंडप मंदिर का एक महत्वपूर्ण भाग है, जहाँ भक्त भगवान राम की पूजा करते हैं। मंडप का निर्माण एक विशिष्ट तरीके से किया गया है, जो भक्तों को भगवान राम की उपस्थिति का अनुभव कराता है।

*वास्तुकला की विशेषताएं* –

अयोध्या राम मंदिर की वास्तुकला में कई विशेषताएं हैं, जो इसे अद्वितीय बनाती हैं। इनमें से कुछ विशेषताएं हैं:-

  • मंदिर का निर्माण लाल पत्थर और संगमरमर से किया गया है।
  • मंदिर की दीवारों पर भगवान राम के जीवन की कहानियों को दर्शाने वाले चित्र बनाए गए हैं।
  • मंदिर का शिखर 161 फीट ऊंचा है, जो भगवान राम की महिमा को दर्शाता है।

राम मंदिर की वास्तुकला एक अद्वितीय और विशिष्ट शैली है, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाती है। मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है, जो उत्तर भारत में प्रचलित एक प्रमुख वास्तुकला शैली है। मंदिर की वास्तुकला में कई विशेषताएं हैं, जो इसे अद्वितीय बनाती हैं।

पता

near Ayodhya Railway Staion, near Hanuman ghadi, ramkot, Sai Nagar, Ayodhya, Uttar Pradesh 224123

दर्शन समय

चित्र सोर्स: आज तक

फ्री दर्शन के लिए आप ऑनलाइन पास भी बुक कर सकते है जो दो प्रकार के होते है एक आरती दूसरा सुगम दर्शन,आरती के लिए 15 दिन और सुगम दर्शन के लिए 2 दिन पहले बुकिंग कर सकते है ,जिसकी वेबसाइट है।

अस्वीकरण – यह जानकारी आपकी यात्रा को सुगम बनाने के लिए है जो कि सामान्य अनुभव और गहरे अध्ययन पर आधारित है,आपसे आग्रह होगा कि आप अपनी समझ और कौशल का उपयोग करके अपनी यात्रा सुगम बनाएं 

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