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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस Western Coalfields Limited

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड
अंतर्राष्ट्रीय

आज पूरे विश्व को भारत ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में ऐसा तोहफा प्रदान किया है, जिससे करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे है।जो कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को शारीरिक,मानसिक और आध्यात्मिक लाभ पहुंचा रहा है।

थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग”

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के बारे में विस्तार से जानकारी:

हम जानेंगे :

1 परिचय
2 योग का इतिहास
3 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन (वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड)
4 योग के प्रकार
5 निष्कर्ष

1 **परिचय**

आज भारत पूरे विश्व का प्रतिनिधित्व योग के रूप में कर रहा है,जो कि हमारे लिए गर्व की बात है।आज योग की महत्ता इस बात से भी समझी जा सकती है कि जब संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा गया था तब दुनिया के 177 देशों ने इसे 11 दिसंबर 2014 को समर्थन देकर इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर भारी बहुमत से पास किया गया,संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह पहली बार था ,जब किसी प्रस्ताव को इतने कम समय में बहुमत से पास किया गया था।आज 21 जून जो कि पूरे उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है जिस वजह से 21 जून की तारीख तय की गई है।

जिसका प्रसारण आप नीचे दिये गए यूट्यूब लिंक के माध्यम से भी देख सकते है। आज के इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग गुरु श्री सचिन मथुरकर सर ने योग को मुस्कान के साथ जोड़कर दिल दिमाग और पूरे शरीर को जागृत कर दिया।साथ ही आज के मुख्य अतिथि श्री जे पी द्विवेदी सर ने समस्त स्टेडियम में उपस्थित नागरिकों को भी योग को जीवन शैली में शामिल करने की सलाह दी। साथ ही योग को सोशल मीडिया एवं अन्य तरीकों से प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कृत किया गया।तत्पश्चात उमरेड क्षेत्रीय महाप्रबंधक श्री मोहम्मद साबिर द्वारा कार्यक्रम की समाप्ति एवं आभार प्रकट किया गया,अंत में उपस्थित सभी लोगों ने नाश्ता ग्रहण कर अपने घर को प्रस्थान किया ।

2 **इतिहास**

दुनिया में योग का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है और यह केवल भारत की ही नहीं बल्कि पूरी मानव सभ्यता की आध्यात्मिक और शारीरिक चेतना का एक अमूल्य हिस्सा है। योग न केवल शरीर को स्वस्थ रखने का माध्यम है, बल्कि यह मन और आत्मा की शुद्धि का भी मार्ग है। आइए विस्तार से जानें दुनिया में योग का इतिहास:

1. वैदिक काल (3000 ई.पू. – 800 ई.पू.)

योग का सबसे पुराना उल्लेख ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद में मिलता है।वैदिक ऋषि ध्यान, यज्ञ और तपस्या के माध्यम से ब्रह्म से एकत्व प्राप्त करने का प्रयास करते थे।इस काल में योग का रूप अधिक आध्यात्मिक और ध्यान-केंद्रित था।

2. उपनिषद काल और भगवद गीता (800 ई.पू. – 200 ई.पू.)

उपनिषदों में आत्मा और ब्रह्म के संबंध को समझाने के लिए योग का गहन विश्लेषण किया गया।भगवद गीता (कृष्ण और अर्जुन का संवाद) में योग के तीन प्रमुख मार्गों का वर्णन है:कर्म योग (कर्म के माध्यम से मोक्ष)भक्ति योग (ईश्वर के प्रति भक्ति)ज्ञान योग (ज्ञान के द्वारा आत्मा की मुक्ति)

3. पतंजलि योग सूत्र (200 ई.पू. – 200 ई.)

महर्षि पतंजलि ने योग को एक व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया — जिसे अष्टांग योग कहते हैं:यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि।पतंजलि के योग सूत्र आज भी योग दर्शन का आधार माने जाते हैं।

4. मध्यकाल (500 ई. – 1500 ई.)

इस काल में योग के भौतिक और तांत्रिक रूपों का विकास हुआ।हठ योग की शुरुआत हुई, जिसके ग्रंथ हैं:हठयोग प्रदीपिका (स्वामी स्वात्माराम)गोरक्ष शतक और शिव संहिताइस काल में योग केवल ध्यान नहीं, बल्कि शरीर के नियंत्रण (शारीरिक आसनों) पर भी केंद्रित हुआ।

5. आधुनिक काल (1800 ई. – वर्तमान)

योग को भारत से बाहर लाने का श्रेय कई महान गुरुओं को जाता है:स्वामी विवेकानंद: 1893 में अमेरिका के शिकागो में योग और वेदांत का प्रचार किया।परमहंस योगानंद: “Autobiography of a Yogi” से पश्चिमी दुनिया में क्रिया योग फैलाया।स्वामी शिवानंद, बी.के.एस. अयंगर, पतंजलि योगपीठ के बाबा रामदेव, आदि ने भारत और विदेशों में योग को लोकप्रिय बनाया।संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित किया (2014 में प्रस्ताव पारित, 2015 से मनाया जा रहा है)।

6. आज का योग (21वीं सदी)

योग अब एक वैश्विक स्वास्थ्य आंदोलन बन चुका है।इसे केवल आध्यात्मिक साधना नहीं, बल्कि तनाव प्रबंधन, मानसिक स्वास्थ्य, फिटनेस, और जीवनशैली रोगों की रोकथाम का उपाय माना जा रहा है।दुनियाभर में योग स्टूडियो, संस्थान, और शिक्षक योग की शिक्षा दे रहे हैं।निष्कर्षयोग का इतिहास केवल एक व्यायाम पद्धति का नहीं, बल्कि मानव आत्मा के विकास और जागरण का इतिहास है। यह भारत से निकला लेकिन आज पूरे विश्व को जोड़ने वाला एक शक्तिशाली माध्यम बन गया है। योग ने यह सिद्ध कर दिया है कि शांति और संतुलन की खोज न तो सीमाओं में होती है, न ही धर्मों में – वह अंततः आत्मा के भीतर होती है।

इस सदी में हमें एहसास हुआ है कि योग ने दुनिया को एकजुट किया है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

3 **अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन ( वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड)**

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में वेस्टर्न कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) में दिनांक 21.06.2025 को 101 जगहों पर योग दिवस मनाया गया। साथ ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का भव्य कार्यक्रम उमरेड क्षेत्र के छत्रपति शिवाजी महाराज स्टेडियम में आयोजित किया गया, जहाँ मुख्य अतिथि के रूप में वेकोलि के सीएमडी श्री जे. पी. द्विवेदी, रामटेक सांसद श्री श्यामकुमार दौलत बरवे , उमरेड विधानसभा के विधायक श्री डॉक्टर मेश्राम जी,निदेशक तकनीकी (संचालन) श्री ए. के. सिंह, निदेशक (वित्त) श्री बिक्रम घोष, निदेशक तकनीकी (योजना एवं परियोजना) श्री आनंदजी प्रसाद, निदेशक (मानव संसाधन) डॉ. हेमंत शरद पांडे एवं मुख्य सतर्कता अधिकारी श्री अजय मधुकर म्हेत्रे, वेकोली के लोगों के साथ योग किया। इसी समय वेकोलि के सभी 10 क्षेत्रों में, कुल 100 स्थानों पर योगाभ्यास किया गया।

आज के इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग गुरु श्री सचिन मथुरकर सर ने योग को मुस्कान के साथ जोड़कर दिल दिमाग और पूरे शरीर को जागृत कर दिया।साथ ही आज के मुख्य अतिथि श्री जे पी द्विवेदी सर ने समस्त स्टेडियम में उपस्थित नागरिकों को भी योग को जीवन शैली में शामिल करने की सलाह दी। साथ ही योग को सोशल मीडिया एवं अन्य तरीकों से प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कृत किया गया।तत्पश्चात उमरेड क्षेत्रीय महाप्रबंधक श्री मोहम्मद साबिर द्वारा कार्यक्रम की समाप्ति एवं आभार प्रकट किया गया,अंत में उपस्थित सभी लोगों ने नाश्ता ग्रहण कर अपने घर को प्रस्थान किया ।

वीडियो के लिए इस लिंक पर क्लिक करें :

https://www.youtube.com/live/-j1yb0OV32U?feature=shared

4 **योग के प्रकार**

1. राजयोग (Raja Yoga)

राजयोग को योगों का राजा कहा जाता है। यह पतंजलि के अष्टांग योग पर आधारित है, जिसमें आत्मसंयम, ध्यान और समाधि का विशेष महत्व है।

अष्टांग योग के आठ अंग:

यम (नियम): सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य,

अपरिग्रहनियम: शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान

आसन: शरीर को स्थिर और आरामदायक स्थिति में रखना

प्राणायाम: श्वास पर नियंत्रण

प्रत्याहार: इंद्रियों को भीतर की ओर मोड़ना

धारणा: मन को एक बिंदु पर केंद्रित करना

ध्यान: लगातार उसी बिंदु पर एकाग्र रहना

समाधि: आत्मा का ब्रह्म से मिलन, सर्वोच्च अवस्था

लाभ:

मानसिक

एकाग्रता

आत्मज्ञान की प्राप्ति

जीवन में स्थिरता और शांति

2. हठयोग (Hatha Yoga)

हठयोग शरीर और मन की शुद्धि का मार्ग है। यह योग शारीरिक अभ्यासों पर आधारित है – जैसे आसन, प्राणायाम, बंध, मुद्राएं और शुद्धि क्रियाएं।

मुख्य अंग:

आसन: जैसे त्रिकोणासन, ताड़ासन, भुजंगासन

प्राणायाम: जैसे अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका

षटकर्म: शरीर की शुद्धि के लिए 6 क्रियाएं (नेति, धोति, नौली, बस्ति, कपालभाति, त्राटक)

लाभ:

शरीर मजबूत और लचीला बनता है

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है

चित्त स्थिर होता है

3. ज्ञानयोग (Jnana Yoga)

यह योग बुद्धि और विवेक के मार्ग से परम सत्य की प्राप्ति का साधन है। उपनिषदों और भगवद्गीता में इसका व्यापक वर्णन है।

मुख्य तत्व:

श्रवण: गुरु या शास्त्रों से ज्ञान प्राप्त करना

मनन: सुने गए ज्ञान पर चिंतन करना

निदिध्यासन: आत्मा पर ध्यान करना

लाभ:

अज्ञान का नाश होता है

अहंकार मिटता है

आत्मबोध की प्राप्ति होती है

4. कर्मयोग (Karma Yoga)

कर्मयोग निष्काम सेवा का मार्ग है। इसमें बिना फल की अपेक्षा के कर्म करना सिखाया जाता है।

महत्वपूर्ण विचार:“कर्म करो, फल की चिंता मत करो” – भगवद्गीता

सेवा भाव से कर्म करना

स्वयं को कर्ता न माननालाभ:अहंकार का क्षय

समाजसेवा की भावना

आध्यात्मिक उन्नति

5. भक्तियोग (Bhakti Yoga)

यह योग प्रेम, श्रद्धा और समर्पण के द्वारा भगवान से मिलन का मार्ग है। यह सबसे सरल और भावनात्मक योग माना गया है।

प्रकार:

सगुण भक्ति: मूर्ति, भगवान के रूप की पूजा

निर्गुण भक्ति: निराकार ईश्वर की उपासना

नवधा भक्ति: श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, आत्मनिवेदन

लाभ:

हृदय में प्रेम और करुणा

ईश्वर में आस्था और आत्मसमर्पण

द्वेष और अहंकार का नाश

6. कुंडलिनी योग (Kundalini Yoga)

यह शक्तियों के जागरण का योग है। कुंडलिनी योग के अनुसार, हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, और आधार चक्र में सुप्त ऊर्जा होती है जिसे जागृत कर ऊपर उठाया जाता है।

प्रमुख चक्र:

मूलाधार

स्वाधिष्ठान

मणिपुर

अनाहत

विशुद्धि

आज्ञा

सहस्रार

उपाय:

ध्यान, बीज मंत्र, प्राणायाम, बंध और मुद्राएं

लाभ:

मानसिक और आध्यात्मिक जागृति

आत्मिक अनुभव

चेतना का विस्तार

7. मंत्रयोग (Mantra Yoga)

इस योग में मंत्रों का जप और उच्चारण कर ध्यान और चेतना का विस्तार किया जाता है।

प्रमुख मंत्र:ॐ: ब्रह्मांडीय ध्वनि

गायत्री मंत्रमूल मंत्र: हरेक देवी-देवता का अलग मूल मंत्र होता है

विधि:जप माला द्वारा मंत्र का बारंबार जप

मानसिक, वाचिक और उपांशु जप

लाभ:मानसिक शांतिऊर्जा का संचार

नकारात्मकता से मुक्ति

8. लययोग (Laya Yoga)

लय का अर्थ है ‘विलीन होना’। इस योग में ध्यान और ध्वनि के माध्यम से मन को ब्रह्म में विलीन करने की प्रक्रिया होती है।

विशेषताएं:

ध्यान से मन को नियंत्रित करना

बीज ध्वनियों का प्रयोग

चक्रों पर ध्यान केंद्रित करना

लाभ:

गहन ध्यान अवस्था

मन की एकाग्रता

ब्रह्मानुभूति

9. तंत्रयोग (Tantra Yoga)

तंत्रयोग रहस्यमय और शक्तिशाली योग प्रणाली है, जिसमें ऊर्जा, ध्यान, मंत्र और विशेष क्रियाओं का संयोजन होता है।

विशेषताएं:

यंत्र, मंत्र, तंत्र का प्रयोग

देवी उपासना

चक्र और शक्तियों का संतुलन

लाभ:

ऊर्जा का जागरण

इंद्रिय संयम

चेतना में परिवर्तन

10. आधुनिक योग (Modern Yoga Styles)

आजकल योग को शारीरिक व्यायाम, फिटनेस और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपनाया जा रहा है। इसमें पारंपरिक और पश्चिमी तकनीकों का मिश्रण देखने को मिलता है।

प्रमुख आधुनिक योग प्रकार:

पावर योग (Power Yoga):तीव्र गति से आसनों का अभ्यास

मांसपेशियों को मजबूत करता है

वेट लॉस के लिए उपयुक्त

विन्यास योग (Vinyasa Yoga):

एक आसन से दूसरे में प्रवाहपूर्ण गति

सांस और गति का तालमेल

लचीलापन और संतुलन बढ़ाता है

अयंगर योग (Iyengar Yoga):आसनों में सटीकता और सहारे का प्रयोग

हड्डियों और जोड़ो के रोगों में लाभकारी

हॉट योग (Hot Yoga):

गर्म कमरे में योग अभ्यास

पसीने के माध्यम से विषैले तत्व बाहर होते हैं

5.**निष्कर्ष**

योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण जीवनशैली है। योग के हर प्रकार का अपना महत्व है। कोई योग शरीर को नियंत्रित करता है, तो कोई मन को शांत करता है, और कोई आत्मा को परमात्मा से मिलाने की दिशा में ले जाता है।व्यक्ति को अपने स्वभाव, लक्ष्य और मानसिक अवस्था के अनुसार योग मार्ग का चयन करना चाहिए।जो भक्तिपूर्ण है, वह भक्तियोग को अपनाएजो सेवा भावी है, वह कर्मयोगजो चिंतनशील है, वह ज्ञानयोगजो साधना के इच्छुक हैं, वे हठयोग या राजयोगयोग के सभी प्रकार अंततः एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं – आत्मा का परमात्मा से मिलन।

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